Monday, 16 February 2015

याखी... 16/02/2015


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याखी... 10/02/2015


याखी... 09/02/2015


याखी का जन्म हुआ: 11 बजकर 30 मिनट (8 फरवरी 2015)

याखी की कहानी....
मैं नास्तिक नहीं हूं, पर भगवान से ज्यादा विज्ञान पर भरोसा करता हूं! लेकिन कई बार जीवन में ऐसी घटनाएं हो जाती हैं जिसके होने पर विज्ञान से ज्यादा भगवान पर भरोसा करने का मन करता है। ऐसी ही एक घटना मेरे परिवार के साथ घटी। इस 8 फरवरी को मुझे पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। जी नहीं! इसे मैं कोई चमत्कार नहीं मान रहा। दरअसल उसके नाम 'याखी' की कहानी मुझे हैरान कर गई।

करीब दो साल पहले रक्षाबंधन के आसपास मेरी बेटी ने इस त्यौहार का मतलब पूछा तो मैने उसे भाई-बहन की वही पारंपरिक कहानी सुनाई। उसके बाद उसने कहा कि उसका भाई क्यों नहीं है? मैं और मेरी पत्नी ने उस समय उसे बुआ के बच्चे को उसका भाई बताकर समझा दिया कि तुम उन्हें राखी बांध सकती हो, हालांकि वो पहले भी उन्हें राखी भेजती थी।

इस घटना के कुछ दिनों बाद फिर से मेरी बेटी अपने भाई को याद करने लगी और इस बार तो उसने उसका नाम भी रख दिया.. 'याखी'...। यह शब्द उसकी जुबान पर कैसे आया इस बारे में हम लोगों को कोई जानकारी नहीं है। इस बीच मेरी पत्नी प्रेग्नेंट हो गईं। हमने भी उसका मन रखने के लिए कह दिया ठीक है यही नाम रख देंगे। हम लोगों ने सोचा नाम में क्या रखा है, कुछ भी हो सकता है। फिर मेरी पत्नी के दिमाग में आया कि कैसा नाम है? कहीं इसका कोई गलत (अपशकुन) मतलब न निकलता हो? सुनने में कितना अजीब नाम है... ऐसी कई बातें ‌दिमाग में आने लगीं। तो मैने गूगल बाबा की शरण ली और इस नाम को सर्च किया। सर्च का परिणाम चौंकाने वाला था। 
याखी एक अरबी शब्द है और इसका मतलब होता है (my brother). सर्च का परिणाम आते ही एक बार को तो लगा क्या मजाक है! ऐसा कैसे हो सकता है? उसके बाद हमने इस नाम की चर्चा किसी से नहीं की। चर्चा इसलिए नहीं की क्योंकि उस समय तक हमारे लिए वो सिर्फ हमारा दूसरा बच्चा था। लड़का या लड़की की बात दिमाग में थी ही नहीं। लेकिन मेरी बेटी को उसका भाई ही चाहिए था। उसकी जिद के बाद हम लोगों ने अपनी बेटी से कह दिया कि भगवान जी से कहो तो वो जरूर याखी को भेजेंगे। यह एक तरह से हम लोगों का भगवान को चैलेंज करने वाली सोच थी। मुझे भी लगा कि अगर याखी नाम का उसकी जुबान पर आना महज एक संयोग है तो उसके आगे भी भी कुछ होगा। भगवान ने मेरी बेटी की पुकार सुन ली और उसको उसका याखी मिल गया।

इसके बाद कम से कम मुझे तो शाहरुख की फिल्म ओम शांति ओम का वो डायलॉग 'इतनी शिद्दत से मैने तुम्हें पाने की कोशिश की है ...कि हर जर्रे ने मुझे तुमसे मिलाने की कोशिश की है' सच लगने लगा। हालांकि मैं मानता हूं प्रकृति के रहस्य (screate) के आगे कुछ भी नहीं है। यह सबकुछ वैसा ही है... जैसा आप सोचते हैं वैसे ही आप बन जाते हैं! खैर मेरी बेटी का भगवान पर विश्वास बरकरार रहने के लिए उस भगवान को बहुत-बहुत धन्यवाद! और हां आप सभी शुभचिंतकों का भी तहे दिल से आभार।